किसकी तुझे तलाश है
कर रहा क्या विचार तू?
जागता है रात भर
देखता है ख़्वाब तू
देख ना तू राह को
राह का निर्माण कर
चलना तू राह पर
मंज़िलें आसान कर
उर में उद्गार भर
जोर से प्रहार कर
चट्टानों को चीर कर
मुश्किलों को पार कर
खोजता क्या यहाँ-वहाँ है
खुद में ही तलाश कर
कल की है क्यों फ़िक्र तुझे
कल को तू आज कर !
जीत की तुझे तलाश है
हार को स्वीकार तू
गलतियों से सीख कर
गलतियाँ सुधार कर